रेलवे की बेशकीमती जमीन बेचने का साजिशपूर्ण खेल हो रहा है -वेणु पी. नायर
सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों और वादाखिलाफी के विरुद्ध रेलकर्मियों का प्रदर्शन
जमीन बेचने और रेलवे का निजीकरण करने के खिलाफ एनआरएमयू का विशाल मोर्चा
मुंबई : रेल प्रशासन की मनमानी और नाइंसाफी से बुरी तरह परेशान हो चुके मध्य रेलवे के हजारों रेलकर्मियों ने नेशनल रेलवे मजदूर यूनियन (एनआरएमयू) के नेतृत्व में सोमवार, 18 मार्च को महाप्रबंधक कार्यालय, मुंबई सीएसटी पर एक विशाल मोर्चा निकालकर सरकार और रेल प्रशासन को मनमानी एवं नाइंसाफी से बाज आने की चेतावनी दी है. इस मौके पर एनआरएमयू के जोनल महामंत्री कॉम. वेणु पी. नायर एवं अन्य प्रमुख पदाधिकारियों के साथ ऑल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन (एआईआरएफ) के राष्ट्रीय महामंत्री कॉम. शिवगोपाल मिश्रा तथा आईटीएफ के कुछ पदाधिकारी भी प्रमुख रूप से उपस्थित थे.
कॉम. नायर ने कहा कि भारतीय रेल का कुशल मानव संसाधन लगातार घटता जा रहा है. जबकि रोज नई-नई गाड़ियां बढ़ती जा रही हैं, नई रेल संपत्तियों और उनके रखरखाव के लिए नया मानव-बल नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि काम के बढ़ते बोझ और अपर्याप्त तथा अयोग्य इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण हजारों रनिंग स्टाफ, इंजीनियरिंग एवं कारखाना कर्मचारी लगातार कार्यजनित बीमारियों का शिकार होकर तनावग्रस्त हो रहे हैं. इसके साथ ही ड्यूटी के दौरान ट्रेनों से रन-ओवर होकर सैकड़ों ट्रैकमैनों की मौतें हो रही हैं.
उन्होंने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि यह अत्यंत दुखद है कि जनसेवा में सिर्फ अपना पसीना ही नहीं, बल्कि अपने प्राण न्यौछावर करने वाले रेलकर्मियों की न्यायोचित मांगों और समस्याओं को समझने और सुलझाने के बजाय सरकार एवं रेल प्रशासन बातचीत के जरिए हल किए गए मुद्दों को भी लागू करने के लिए किए गए वादों को पूरा करने में लंबे समय से टालमटोल कर रहे हैं. उन्होंने साफ कहा कि सरकार ने केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के साथ न सिर्फ नाइंसाफी की है, बल्कि कई मौकों पर दगाबाजी भी की है. अब समय आ गया है कि सरकार को इस दगाबाजी के लिए सबक सिखाया जाए.
महामंत्री कॉम. वेणु पी. नायर ने रेल प्रशासन पर सीधा प्रहार करते हुए कहा कि अब रेल कारखानों को बंद करके उनकी अरबों रुपये की बेशकीमती जमीन कौड़ियों के भाव निजी कॉर्पोरेट घरानों और बिल्डरों को बेचने का साजिशपूर्ण खेल शुरू हो चुका है. सरकार द्वारा कई महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों का निजीकरण करके भारतीय रेल के निजीकरण की भी शुरुआत हो चुकी है. उन्होंने इसके कुछ ताजा उदाहरण देते हुए कहा कि टर्मिनस बनाने के नाम पर परेल कारखाना बंद करके यहां के हजारों रेलकर्मियों और उनके परिजनों के साथ अन्याय किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा मुंबई में करीब 45 एकड़ बेशकीमती रेलवे जमीन राज्य सरकार अथवा निजी बिल्डरों को धारावी के विकास के नाम पर सौंपने का निर्णय लिया गया है. इसमें पश्चिम रेलवे सहित मध्य रेलवे के माटुंगा कारखाना और उसके आसपास की अत्यंत महंगी जमीन शामिल है, जिसके अंतर्गत माटुंगा का रेलवे स्पोर्ट्स ग्राउंड, रेलवे इंस्टिट्यूट, माटुंगा की रेलवे कॉलोनी, आरपीएफ बैरक एवं कार्यालय इत्यादि को समाप्त करके यह रेलवे जमीन कौड़ियों के दाम राज्य सरकार को सौंपी जा रही है. इसके अलावा स्टेशन एरिया रिडेवलपमेंट के नाम पर ठाकुर्ली और नागपुर रेलवे स्टेशनों के आसपास की सैकड़ों एकड़ प्राइसलेस रेलवे लैंड को निजी हाथों में सौंपने की साजिश चल रही है.
अंत में उन्होंने कहा कि ऐसी ही अन्य कई साजिशें और निर्णय हैं, जो करोड़ों रेलयात्रियों और लाखों रेलकर्मियों के लिए आने वाले दिनों में काफी परेशानी पैदा करने वाले साबित होंगे. उन्होंने कहा कि अब रेलकर्मियों को ही इसका प्रतिकार करने के लिए आगे आना होगा. उन्हें सरकार की कर्मचारी विरोधी और पतनकारी नीतियों का डटकर विरोध करना होगा तथा अपनी न्यायोचित मांगों के लिए लड़ना पड़ेगा.