एसएंडटी कर्मचारियों ने असुरक्षित कार्य-प्रणाली के विरोध में मनाया काला दिवस
वाजिब मांगों पर अविलंब उचित निर्णय नहीं लिया गया, तो ‘अनुरक्षण कार्य बंद आंदोलन’ होगा
इसके अलावा मौत होने के बाद पूरी रात उनके शव लाइन पर ही पड़े रह और उनके ऊपर से 19 ट्रेनें गुजार दी गई थीं. सुबह 5.30 बजे दोनों शव जीआरपी द्वारा उठाए गए. मानवता को शर्मसार करने और झकझोर देने वाली यह घटना रेल प्रशासन के माथे पर एक बड़े बदनुमा दाग की तरह है. यह घटना इस बात की भी गवाह है कि रेलवे के सिग्नल विभाग के कर्मचारी किन कठिन परिस्थितियों में जान को जोखिम में डालकर अपनी डयूटी करते हैं. मानवीय संवेदनाओं को कलंकित करने वाली इस अमानवीय घटना की याद में अब हर साल पूरी भारतीय रेल में एसएंडटी कर्मचारियों द्वारा 9 फरवरी को संरक्षा दिवस मनाया जाएगा.
सभी कर्मचारियों ने पूरे दिन भूखे रहकर और काली पट्टी बांधकर काम करते हुए अपना विरोध जताया. यूनियन पदाधिकारियों का कहना है कि रेल प्रशासन कर्मचारियों से उनकी क्षमता से अधिक काम करा रहा है. इसके कारण अधिकतर कर्मचारी कई गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की ड्यूटी का कोई समय निर्धरित नहीं है. अपनी कार्य अवधि के बाद भी सिग्नल फेलियर होने पर उसके अनुरक्षण के लिए उन्हें कभी-भी बुला लिया जाता है. इसके बदले में उन्हें कोई भत्ता नहीं दिया जाता है, जो कि कार्य और आराम की अवधि के मामले में एचओईआर, 2005 के नियमों का खुला उल्लंघन है. यदि थकान एवं नींद के चलते किसी कर्मचारी से कोई गलती हो जाती है, तो चार्जशीट और निलंबन जैसे दंड का सामना करना पड़ता है. यहां तक कि कई बार उन्हें नौकरी से भी निकाल दिया जाता है.
पदाधिकारियों का कहना था कि हर साल औसतन दो दर्जन से अधिक एसएंडटी कर्मचारी रन-ओवर या ड्यूटी के दौरान दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं. अभी दो दिन पहले भी 7 फरवरी को पूर्व तट रेलवे रूट पर एक कर्मचारी रन-ओवर हो गया. इतना ही नहीं कर्मचारी समपार फाटक की मरम्मत या फेलियर के दौरान स्थानीय लोगों की मारपीट का भी शिकार होते हैं. इसमें भी कई कर्मचारियों की मौत हो चुकी है. उन्होंने कहा कि यदि रेल प्रशासन एसएंडटी कर्मचारियों की उपरोक्त वाजिब मांगों पर अविलंब कोई उचित निर्णय नहीं लेता है, तो जल्दी ही ‘अनुरक्षण कार्य बंद आंदोलन’ किया जाएगा.